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संयुक्त राष्ट्र सुधार

 

एक संगठन के रूप में, संयुक्त राष्ट्र को तेजी से बदलते वातावरण के लिए स्वयं विकास तथा अनुकूलन करना होगा और विश्व समुदाय की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वयं को बेहतर बनाना होगा। 2005 के विश्व शिखर सम्मेलन में सभी राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र में शीघ्र व सार्थक सुधार की शपथ ली।

भारत का विचार है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को महासभा को पुनः ताकतावार बनाने के लिए और अधिक संकल्पबद्ध उठाने की आवश्यकता है, ताकि वह संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख विमर्शी अंग के रूप में अपनी उपयुक्त भूमिका निभा सके।

भारत का यह मानना है कि संयुक्त राष्ट्र का कोई भी सुधार इक्कीसवीं सदी की समकालिक वास्तविकताओं को प्रदर्शित करने में सक्षम सुरक्षा परिषद के गठन के बिना पूरा नहीं हो सकता। इसके लिए सुरक्षा परिषद के स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार की आवश्यकता है। भारत जी-4 (भारत, ब्राजील, जापान और जर्मनी) और एल-69, जो एशिया अफ्रीका और लतिन अमेरिका के विकासशील देशों के 42 सदस्यों का समूह है, का सदस्य है। ये समूह वर्ष 2009 से ही सुरक्षा परिषद में सुधार संबंधी अंतर-सरकारी वार्ताओं में अग्रणी रहे हैं। भारत ने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भरसक प्रयास किए हैं। भारतीय शिष्टमंडल ने पुष्टि की है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिशद में सुधार लाने की प्रक्रिया को किसी निरवधि कार्य के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और इस विषय पर ठोस परिणाम निकाले जाने की मांग की।

किसी भी वस्तुपरक मानदंड जैसे जनसंख्या, क्षेत्रीय आकार, सकल घरेलू उत्पाद, आर्थिक क्षमता, सभ्यतामूलक विरासत, सांस्कृतिक विविधता, राजनीतिक प्रणाली और संयुक्त राष्ट्र के कार्यकलापों में विगत तथा चालू योगदान -विशेषकर संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की कार्रवाइयों के आधार पर भारत स्थायी सदस्यता के लिए प्रमुख पात्र देश है। भारत ने स्थायी सदस्य की जिम्मेदारियां उठाने की अपनी इच्छा तथा क्षमता की पुनःपुष्टि की है। स्थायी सीट के लिए अपनी उम्मीदवारी हेतु न्यूयार्क की वार्तओं में भारत के प्रयास और पी-5 के चार देशों सहित अधिकांश देशों द्वारा जोरदार समर्थन किया गया है।