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संयुक्त राष्ट्र लोकतांत्रिक निधि

संयुक्त राष्ट्र लोकतांत्रिक निधि (यू.एन.डी.ई.एफ) का सृजन भारत और संयुक्त राष्ट्र के मध्य साझेदारी के परिणामस्वरूप हुआ था और 14 सितम्बर, 2005 को न्यूयार्क में भारत के प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश और संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान के द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किया गया था। वर्तमान में भारत यू.एन.डी.ई.एफ का द्वितीय सबसे बड़ा अंशदाता है व 8 मई, 2014 तक 31.56 मिलियन अमरीकी डालर का अंशदान दे चुका है। भारत इस निधि को लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रक्रियाओं के उन्नयन के लिए प्रभावशाली माध्यम मानता है और इसने इसकी उच्चस्तरीय शासी निकाय-सलाहकार बोर्ड में सदस्य के रूप में यू.एन.डी.ई.एफ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यू.एन.डी.ई.एफ वर्तमान में नागरिक समितियों की आवाज को मजबूत करने वाली, मानवीय अधिकारों को बढ़ावा देने वाली और सभी समूहों द्वारा प्रजातांत्रिक प्रक्रियाओं में भागीदारी को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं का समर्थन करता है। इसकी शुरूआत से यू.एन.डी.ई.एफ ने सामुदायिक विकास, कानून द्वारा शासन और मानवाधिकार, लोकतंत्रीकरण के लिए साधन, महिलाओं, युवाओं और मीडिया जैसे मुख्य क्षेत्रों में 110 से अधिक देशों में 500 के अधिक परियोजनाओं को निधियां प्रदान की हैं। यह आबंटन कुल मिलाकर 125 अमरीकी डालर है।